कोरोना पर नई उम्मीद,भारत में शुरु हुआ इम्यूनिटी बूस्टर दवाओं का ट्रायल
सेहतराग टीम
कोरोना वायरस इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि लोग अब इससे डरने लगे हैं। वहीं इसके इलाज के लिए रिसर्चर्स टीका और वैक्सीन की खोज में लगातार जुटे हुए हैं। ये काम दिन रात एक करके किया जा रहा है। वहीं वैज्ञानिक और जानकार इससे बचने के लिए कई अलग तरह के दवाओं का इस्तेमाल कर करके मरीजों को ठीक करने में मदद कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत में भी कोविड-19 इम्युनिटी बूस्टर थेरेपी के लिए कुछ परंपरागत दवाओं पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया गया है। इनमें आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी दवाएं बनाने वाली 20 से ज्यादा कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। आयुष मंत्रालय ने अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुड़चि और पिप्पली जैसी जड़ी-बूटियों के साथ-साथ एक पॉली हर्बल फॉर्म्युलेशन पर रिसर्च के लिए प्रोटोकॉल डेवलप किया है।
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कौन-कौन सी कंपनियां ट्रायल में शामिल
इम्युनिटी बूस्टर ड्रग तैयार करने में हमदर्द लैबोरेट्रीज, डाबर, श्री श्री तत्व जैसी कंज्यूमर गुड्स कंपनियां जुटी हैं। उन्होंने ट्रायल को रजिस्टर भी करा लिया है।
श्री श्री तत्व करेगी 50 मरीजों पर ट्रायल
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की आयुर्वेदिक कंपनी श्री श्री तत्व ने बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से हाथ मिलाया है। कंपनी 50 एसिम्प्टोमेटिक और हल्के लक्षण वाले कोविड मरीजों पर इम्युनिटी बूस्टिंग फॉर्म्युलेशंस का ट्रायल करेगी।
दो महीने में रिजल्ट्स जारी करेगी हमदर्द
हमदर्द लैबोरेट्रीज ने यूनानी चिकित्सा पद्धति के आधार पर इम्युनिटी बूस्टर प्रॉडक्ट्स का ट्रायल शुरू कर दिया है। क्लिनिकल ट्रायल एसिम्प्टोमेटिक और संदिग्ध कोविड मरीजों पर किए जाएंगे। ट्रायल के नतीजे दो महीने के भीतर आने की संभावना है।
कषाय कितना असरदार, रिसर्च जारी
इन सभी के अलावा परंपरागत भारतीय औषधि, कषाय के प्रभावों पर भी रिसर्च हो रही है।
कोविड-19 पर च्यवनप्राश असरदार या नहीं?
डाबर इस बात पर रिसर्च कर रहा है कि उसका च्यवनप्राश कोविड-19 को रोक सकता है या नहीं।
मिल रहा है सरकार का सपोर्ट
इन क्लिनिकल ट्रायल्स को CSIR, आयुष मंत्रालय सपोर्ट कर रहा है। इसके अलावा टेक्निकल सपोर्ट का जिम्मा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च पर है।
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